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कम्यूनिटी डेवलपमेन्ट थ्रू पॉलीटेक्निक योजना

मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वीकृत यह योजना प्रदेश के 15 पॉलीटेक्निकों में संचालित है । योजना के अन्तर्गत ग्रामीण व नगर के युवक/युवतियों को रोजगार व स्वरोजगारोन्मुख निशुल्क तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना एंव समाज/क्षेत्र के निर्धन, पिछड़े वर्ग, अल्प संख्यक समुदाय के सामाजिक एंव आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाना है। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनको ऐसी तकनीक से अवगत कराया जाता है जो उनके लाभदायक सिद्ध हो।

उद्देश्यः-

इस योजना के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार है:
  1. कम्यूनिटी संस्थाओं के बीच सामजस्य, विज्ञान टेक्नोलोजी से सम्बन्धित ज्ञान एंव शोध की टेनिंग, तकनीकी हस्तान्तरण एवं सहायक सेवाओं के माध्यम से हस्तान्तरण करना।
  2. तकनीकी शिक्षा के बहुउद्देशीय लाभों से ग्रामीणजनों को अवगत कराना तथा उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में सहयोग देना।
  3. पॉलीटेक्निक जनसंसाधन के द्वारा ग्रामीण जनशक्ति की विभिन्न ऐसी समस्याओं का पता लगाना जो विज्ञान एवं टेक्नोलोजी के लिये स्त्रोत(इनपुट) का कार्य कर सकें।
(क) सामाजिक आर्थिक सर्वेः-ग्रामीण विकास से सम्बन्धित समस्याओं को सर्वेक्षण के माध्यम से पहचान कर ऐसे रूप में प्रयोग करना जिससे त्वरित लाभ हो सकें।
(ख) जनशक्ति विकासः-क्षेत्र के लोगों में 3-6 माह की अवधि में निःशुल्क बहुआयामी तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना। जिससे वे स्वरोजगार की ओर उन्मुख हो सकें।
(ग) देश के विभिन्न शोध संस्थानों एंव प्रयोगशालाओं द्वारा बहुत सी उपयुक्त तकनीकियाँ विकसित की जाती है लेकिन ग्रामीणजनों को इसका लाभ नहीं पहुँच पाता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से सम्बन्धित तकनीकियों को एकत्रित कर ग्रामीणजनों तक निम्न तरीकों के माध्यम से पहुँचाया जाता हैः-
1. तकनीकों को दिखाना/समझाना (डिमास्ट्रेशन)
2. टेनिंग व शिक्षा
3. तकनीकों को गाँव/नगर में ही विकसति करना(फैब्रीकेशन)
4. प्हले से विकसित/सीमित तकनीक की देखभाल व अनुरक्षण।
5. पूर्व विकसित तकनीक को स्थापित करना।
(घ) तकनीकी सेवायें (टेक्निकल सर्विसेज):- ग्रामीण क्षेत्रों में खेती/अन्य क्षेत्रों/दैनिक उपयोग से सम्बन्धित उपकरणों का प्रयोग होता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से सम्बन्धित उपकरणों से सम्बन्धित तकनीकी एंव उनके मरम्मत आदि की जानकारी दी जाती है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत मुख्यतः निम्न कार्यो को सम्पादित किया जाता है।
1. प्रसार केन्द्रों के माध्यम से उपकरणों/औजारों की सूक्ष्म मरम्मत।
2. ग्रामवासियों द्वारा स्वंय के संचालित मरम्मत केन्द्रों को प्रोत्साहन देना।
3. निश्चित समय के अन्तराल पर तकनीकी सेवाओं से सम्बन्धित कैम्प लगाना।
4. गाँव में संस्था द्वारा मरम्मत केन्द्र खोलना।
5. ग्रामीण जनशक्ति के द्वारा ग्रामीण स्तर पर कन्सलटेन्सी प्रदत्त करना।
6. प्रोडक्शन कम ट्रेनिंग सेन्टर की रूपरेखा तैयार करना जिससे कच्चे माल द्वारा ग्रामीण उपयोग से सम्बन्धित उपकरणों को तैयार किया जा सके।
(ड) टेक्निकल सपोर्ट (तकनीकी सहायता) सेवायें:- तकनीकी सेवाओं के अतिरिक्त ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के सहयोग जैसे कच्चे माल की आपूर्ति विभिन्न अनुदानों/लोन की जानकारी,स्वास्थ्य/पर्यावरण सुधार, स्वच्छ पानी की सुविधा, पोलियो कैम्प, मुद्रा परीक्षण इत्यादि की आवश्यकता होती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से उपरोक्त कार्यो में सहयोग दिया जाता है।
(च) सूचनाओं का प्रचार/प्रसार:- यह बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्न कार्य किये जाते हैं:-
1. प्रसार केन्द्रों पर प्रदर्शनी लगाना।
2. यूथ क्लब, महिला मण्डल, ग्रामीण क्लब इत्यादि की बैठक करना।
3. वीडियो फिल्म/टी0वी0 आदि के माध्यम से प्रचार करना।
4. मोबाईल तकनीकी द्वारा प्रसार एवं डिमोस्ट्रेशन कैम्प लगाना।